एसिडिटी: कारण, प्रकार, लक्षण और आयुर्वेदिक समाधान

एसिडिटी क्या है?

आधुनिक जीवनशैली, अनुचित खानपान और अनियमित दिनचर्या के कारण पाचन तंत्र असंतुलित हो जाता है, जिससे पेट में अम्ल (एसिड) की अधिकता होती है। यह स्थिति एसिडिटी कहलाती है। जब अम्ल पाचन तंत्र में असंतुलन पैदा करता है, तो सीने में जलन, पेट दर्द, खट्टे डकार आना, गैस और अपच जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यदि इसे समय पर नियंत्रित न किया जाए, तो यह गंभीर पाचन विकारों का कारण बन सकता है।

एसिडिटी के प्रकार ?

1. तीव्र एसिडिटी

यह अस्थायी होती है और अधिक मसालेदार भोजन, तनाव या अनियमित भोजन के कारण होती है। सही खानपान और जीवनशैली से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

2. क्रॉनिक एसिडिटी

जब एसिडिटी लंबे समय तक बनी रहती है और बार-बार होती है, तो इसे क्रॉनिक एसिडिटी कहा जाता है। यह अधिक गंभीर होती है और पेट के अंदरूनी भाग को नुकसान पहुँचा सकती है।

3. गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज

इसमें पेट का अम्ल भोजन नली (इसोफेगस) में वापस चला जाता है, जिससे सीने में जलन और गले में खराश की समस्या होती है।

एसिडिटी को जड़ से मिटाएं, स्वस्थ जीवन के लिए पंचगव्य अपनाएं..!

कामधेनु के पंचगव्य आधारित आयुर्वेदिक समाधान से एसिडिटी को जड़ से मिटाएं और अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाएं।

एसिडिटी के लक्षण

1. सीने और गले में जलन

2. खट्टे डकार आना

3. पेट में भारीपन और गैस

4. खाने के बाद बेचैनी महसूस होना

5. मुँह का स्वाद खट्टा या कड़वा हो जाना

6. पेट फूलना और अपच

7. लगातार सिरदर्द और चिड़चिड़ापन

आयुर्वेदिक समाधान: पंचगव्य आधारित विशेष उपचा

आयुर्वेद के अनुसार, एसिडिटी का मुख्य कारण पित्त दोष की वृद्धि है, जो शरीर में गर्मी और अम्लता को बढ़ाता है। पंचगव्य आधारित हमारे विशेष उत्पाद इस असंतुलन को जड़ से ठीक करने में सहायक हैं।

अब घर बैठे पाएँ एसिडिटी के लिए असरदार पंचगव्य समाधान..!

अब एसिडिटी से राहत के लिए कामधेनु के पूर्णतः शुद्ध आयुर्वेदिक पंचगव्य उत्पाद घर बैठे मंगवाएँ और अपने पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाएं।

पंचगव्य से स्वास्थ्य परिवर्तन ग्राहकों की जुबानी